“प्यारे उत्तराखंडियों सनद रहे, सशक्त भू-कानून अभी न मिला तो कभी नहीं मिलेगा, हमारी आने वाली पीढ़ियां अपने अस्तित्व के रक्षा हेतु तरस जाएंगी”
यूं तो हर उत्तराखंडी ने राज्य बनने के साथ ही मजबूत भू कानून लागू करने हेतु संकल्प ले लिया था। पर उदासीन सरकारों ने इस और कतई ध्यान न दिया जिसका नतीजा यह हुआ कि आज तमाम पहाड़ के पहाड़ बाहर वालों द्वारा बड़ी तादाद में खरीदे जा रहे हैं।
यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री भुवन चंद्र खंडूरी जी का विशेष उल्लेख करना जरूरी है क्योंकि उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति से कड़क भू नियम लागू हुआ था जिसने उत्तराखंड की जमीनों को काफी हद तक बिकने से बचाया था।
परंतु उसके बाद जितनी भी सरकारें आई, सब ने भू रक्षा नियम को शिथिल ही किया मजबूत नहीं। आज तो यह स्थिति आ गई है कि पहाड़ी अपने ही राज्य में स्वयं को दोयम दर्जे का नागरिक बन बैठा है। बाहरी धनाढ्य सेठों ने अकूत धन संपत्ति के बल पर बड़ी मात्रा में पहाड़ों एवं बड़े नगरों में जमकर भूमि खरीद ली है । कल तक जो पहाड़ी अपनी जमीन का मालिक था आज वही पहाड़ी अपनी भूमि बेचकर बाहर वाले द्वारा निर्मित भवन पर चौकीदारी बन कर काम कर रहा है।
क्या इसी दिन के लिए उत्तराखंड में 42 शहादतें दी थी? क्या इसी दिन के लिए हमारी मातृ शक्ति ने लंबा संघर्ष किया और उत्तराखंड राज्य बनाया?
यह सवाल हर उत्तराखंडी के मन को कचोड देता है।
विधानसभा 2022 के चुनाव से पहले भी यह मुद्दा बहुत गरमाया, उत्तराखंड के सामान्य नागरिक ने मजबूत स्वर में सशक्त भू कानून की आवाज को बुलंद सड़कों पर आकर मजबूत किया। तत्कालीन और अब के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने उत्तराखंड हित में एक मजबूत उत्तराखंड भू कानून बनाने हेतु कमेटी का निर्माण किया।
आज भू कानून कमेटी ने अंततः अपनी विशेषज्ञ रिपोर्ट मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है।
अब उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक की निगाहें मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की ओर टिकी है, अब उन्हें और समय न गवाते हुए उत्तराखंड एवं यहां के निवासियों के हित में हिमाचल की तर्ज पर एक सशक्त भू कानून बनाना ही होगा जिससे कि उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति, सामाजिक संरचना एवं आर्थिकी को बचाया एवं समृद्धि किया जा सके।
माननीय मुख्यमंत्री जी हर उत्तराखंडी इस कालखंड को याद रखेगा यह मौका है आपके पास हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय यशवंत सिंह परमार जी की तरह सबसे उत्कृष्ट एवं लोकप्रिय मुख्यमंत्री बनने का जिन्हें आज हर हिमाचली सबसे ज्यादा आदर करता है एवं पूजता भी है, आप भी यह मौका चुकिऐगा मत।
ये लेखक के निजी विचार हैं ।
( लेखक वी वी तिवारी देहरादून, उत्तराखंड के एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं )
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